Bihar Development: बिहार में पहाड़ियों के बीच बनेगा 5KM लंबा सुरंग वाला सड़क, 2027 तक पूरा होगा सपना
सोन नदी पर पुल और सुरंग से जुड़ेगा सासाराम-औरंगाबाद

पटना/कैमूर। बिहार में आधारभूत संरचना के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक अध्याय जुड़ने जा रहा है। केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे परियोजना के अंतर्गत बिहार की सबसे लंबी सड़क सुरंग का निर्माण किया जाएगा, जिसकी लंबाई 5 किलोमीटर होगी। यह सुरंग कैमूर की पहाड़ियों को भेदते हुए सासाराम और औरंगाबाद को जोड़ने का कार्य करेगी। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने इस परियोजना को हरी झंडी दे दी है और लक्ष्य रखा गया है कि साल 2027 तक इसका निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जाए।
यह सुरंग जहां भौगोलिक चुनौतियों को पार करते हुए यातायात को सुगम बनाएगी, वहीं यह देश की शीर्ष 10 सबसे लंबी सुरंगों में छठे स्थान पर होगी। इसके निर्माण से न केवल बिहार की सड़क संरचना को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी, बल्कि यात्रा के समय में लगभग 6 घंटे तक की बचत भी सुनिश्चित होगी।
क्या है वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे?
वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे एक हरित क्षेत्र (ग्रीनफील्ड) परियोजना है जिसकी अनुमानित लंबाई 610-690 किलोमीटर होगी और इसकी कुल लागत 35,000 करोड़ रुपये आँकी गई है। यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के चंदौली से शुरू होकर बिहार, झारखंड होते हुए पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता तक जाएगा।
बिहार में यह एक्सप्रेसवे चार प्रमुख जिलों से होकर गुजरेगा:
- कैमूर (51.4 किमी)
- रोहतास (35.5 किमी)
- औरंगाबाद (39.3 किमी)
- गया (35.5 किमी)
कैमूर की सुरंग: प्रोजेक्ट का दिल
यह सुरंग कैमूर की पहाड़ियों को भेदते हुए बनाई जाएगी और सोन नदी को पार करते हुए सासाराम को औरंगाबाद से जोड़ेगी। इस निर्माण में उच्च तकनीकी मशीनों का प्रयोग किया जाएगा जो भूगर्भीय संरचना का अध्ययन कर पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुँचाते हुए कार्य को अंजाम देंगे।
प्रमुख विशेषताएं:
- लंबाई: 5 किलोमीटर (बिहार की सबसे लंबी)
- स्थान: कैमूर की पहाड़ियों में, सासाराम-औरंगाबाद मार्ग पर
- तकनीक: अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों और पर्यावरण अनुकूल डिज़ाइन
- यात्रा समय में बचत: लगभग 6 घंटे
- पर्यावरण संरक्षण: प्राकृतिक सौंदर्य और पारिस्थितिकी का रखा जाएगा विशेष ध्यान
- सोन नदी पर बनेगा नया पुल
सुरंग के अलावा, इस परियोजना के अंतर्गत सासाराम के तिलौथू में सोन नदी पर एक विशाल पुल का भी निर्माण प्रस्तावित है। यह पुल कैमूर और रोहतास जिलों को सहजता से जोड़ते हुए एक्सप्रेसवे को सतत बनाए रखेगा। सुरंग और पुल मिलकर इस मार्ग को भविष्य की ‘इंफ्रास्ट्रक्चर रीढ़’ में बदल देंगे।
व्यापार, कृषि और पर्यटन को मिलेगा सीधा लाभ
इस एक्सप्रेसवे के बन जाने से वाराणसी से कोलकाता की यात्रा समय 15 घंटे से घटकर मात्र 6-7 घंटे रह जाएगी। इससे न केवल व्यापारियों और उद्योगपतियों को तेज लॉजिस्टिक्स सुविधा मिलेगी, बल्कि किसानों को अपने उत्पाद तेजी से मंडियों तक पहुंचाने में आसानी होगी। इसके अलावा पर्यटन को भी जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा, खासकर कैमूर, रोहतास, गया और झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में।
NHAI की प्राथमिकताएं और रणनीति
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने यह स्पष्ट किया है कि निर्माण कार्य के दौरान स्थानीय रोजगार को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही, स्थानीय निवासियों और पारिस्थितिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए कार्य का क्रियान्वयन किया जाएगा।
संक्षिप्त जानकारी तालिका
विशेषता | विवरण |
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परियोजना का नाम | वाराणसी–कोलकाता एक्सप्रेसवे |
कुल लंबाई | 610–690 किमी |
बिहार में कवर जिले | कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, गया |
सुरंग की लंबाई | 5 किमी |
स्थान | कैमूर की पहाड़ियां (सासाराम-औरंगाबाद मार्ग) |
निर्माण लक्ष्य | वर्ष 2027 तक |
अनुमानित लागत | ₹35,000 करोड़ |
यात्रा समय में कमी | 15 घंटे से घटकर 6-7 घंटे |
कैमूर की यह सुरंग न केवल बिहार में अधोसंरचना विकास की मिसाल बनेगी, बल्कि यह भविष्य में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेश को भी आकर्षित करेगी। यह परियोजना बिहार को एक्सप्रेसवे क्रांति में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में निर्णायक कदम साबित होगी। आने वाले वर्षों में जब यह सुरंग और एक्सप्रेसवे पूर्ण होंगे, तो बिहार की तस्वीर और तकदीर दोनों बदलती नजर आएंगी।