छपरा। गड़खा प्रखंड क्षेत्र में धान की कटाई के बाद खाली हो रहे खेतो में अब आलू , गेहूं, मक्का, दलहन, तिलहन बोआई हो रही है।अगेती धान के बाद अधिकतर किसान आलू की बिजाई करते है। आलू की फसल में बिजाई के समय डी ए पी खाद की भारी मात्रा में जरूरत होती हैं। क्षेत्र में इस समय आलू की बिजाई जोरों पर चल रही है।लेकिन बाजार से डी ए पी खाद गायब है।किसानों का कहना है कि एक तरफ तो मौसम खराब चल रहा है ऊपर से खाद की किल्लत के चलते वह समय रहते आलू की बिजाई नही कर पा रहे।
खाद नही मिलने से किसानों मे बेचैनी है।खाद को लेकर किसान निजी दूकानों से लेकर सरकारी गोदाम तक का प्रतिदिन चक्कर लगा रहे है।उन्हें या तो पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल पा रही हैं या तो खाद की अनुपलब्धता ने उनकी नींद उड़ा दी हैं। जयप्रकाश राय, रंजन कुमार,विकेश कुमार, भानू राय,अखिलेश राय, सुरेंद्र सिंह,विनोद सिंह,गूंजेश्वर सिंह,टुनेश्वर सिंह आदि किसानों का कहना है कि उनके खेत गेंहू बुआई के लिए तैयार है।उन्हें डीएपी खाद की नितांत आवश्यकता है,लेकिन इसकी बाजार सहित गोदाम में भी आभाव है।बिस्कोमान कृषक सेवा केंद्र नोटिस चस्पाया गया है कि किसान को अगले आदेश तक खाद नहीं मिलेगा।यदि कही मार्केट मे डीएपी, मिक्सचर खाद उपलब्ध भी है तो उसके लिए किसान से 1650-1700 मूल्य दर की मांग की जा रही है।किसानों का यह कहना है
कि बाहर खुली दूकनों पर मिलने वाले खादों की गुणवता को लेकर के वह इतने आश्वस्त नहीं हैं। गेहूं बिजाई का सीजन भी यौवन पर है।ऐसे में डीएपी खाद की किल्लत किसानों के लिए भारी मुसीबत खड़ी कर दी है।उधर बिस्कोमान के वरीय क्षेत्रीय पदाधिकारी अनिल कुमार सिंह का कहना है कि इफ्को कंपनी खाद का रैक अभी नहीं आया है अगले सप्ताह तक आने की संभावना है।सरकार द्वारा प्रदत्त खाद इफको कंपनी को दिया गया है,लेकिन डी ए पी का नया रैक नही आने से किसानों को खुले बाजार से 1650 रुपए बोरा डी ए पी लेने को मजबूर है जबकि सरकार द्वारा सभी खाद का मूल्य निर्धारित किया गया है जिस मूल्य पर ही खाद बेचने है।लेकिन यहां बाजारों में बड़े पैमाने पर डी ए पी खाद का कालाबाजारी शुरू है।बीएओ शिवजी पासवान ने बताया कि कालाबजारी से खाद बेचने वाले दूकानदार पर छापा मारा जा रहा है ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। वही मुखिया संघ अध्यक्ष दिनेश राय,सम्पत राम राही, धर्मदेव राय,अशोक राय,पंकज सिंह,कामख्या सिंह आदि प्रतिनिधियों का कहना है कि कृषि प्रधान देश होने के बाद भी खेती के समय किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल पाना दुर्भाग्य की बात हैं।अगर एक सप्ताह में खाद का रैक नही आएगा तो सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ आवाज़ बुलंद करेंगे और किसानों के पक्ष में आमारण अनशन प्रारंभ करेंगे।
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