टीबी से जंग जितने के लिए मजबूत दिमाग और दृढ इच्छाशक्ति जरूरी

छपरा
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• टीबी संक्रमित माँ भी करा सकती है स्तनपान
• कुपोषित व्यक्तियों में टीबी होने की संभावना अधिक
• टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़े
छपरा। अपने शरीर को स्वस्थ रखना हमारा कर्तव्य है,अन्यथा हम अपने दिमाग़ को मज़बूत और स्पष्ट नहीं रख पाएंगे। महात्मा गौतम बुद्ध का यह कथन शारीरिक स्वास्थ्य के महत्व को बताता है, क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है. स्वस्थ शरीर और मन की बात हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि कोरोना के डर के चलते हम पिछले दो सालों से कई बीमारियों को नज़रअंदाज़ करते आए हैं.

ऐसी ही एक संक्रामक बीमारी है टीबी. इसका संक्रमण व्यक्ति के लिए जानलेवा भी हो सकता है. पर दिमाग़ को मज़बूत रखकर यानी दृढ़ इच्छाशक्ति इस हम टीबी ही क्या दूसरी जानलेवा बीमारियों की भी हरा सकते हैं. टीबी यानी ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया से होनेवाली बीमारी है. सबसे कॉमन फेफड़ों का टीबी है और यह हवा के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है. मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वाली बारीक़ बूंदें इन्हें फैलाती हैं.

स्तनपान से टीबी नहीं फैलती:

टीबी लाइलाज नहीं है, लेकिन इलाज न करवाने की सूरत में यह जानलेवा हो सकता है. इसका इलाज अमूमन छह महीने तक सही दवाओं के सेवन से किया जा सकता है. बीसीजी वैक्सीन टीबी से रक्षा करती हैं, इसे 35 वर्ष से कम उम्र के उन वयस्कों और बच्चों को दिया जा सकता है जिन्हें टीबी होने का ख़तरा है. शरीर के किसी भी हिस्से में नाखून और बाल को छोड़कर टीबी हो सकता है. अगर छोटे बच्चे की मां को टीबी हो जाए तो उस स्थिति में कई बार परिवार के लोग बच्चे को मां से दूर कर देते हैं, बच्चे को मां का दूध नहीं पीने देते हैं जबकि वास्तविकता यह है कि स्तनपान से टीबी नहीं फैलती है. ड्रग सेंसिटिव टीबी का इलाज 6 से 9 महीने और ड्रग रेजिस्टेंट का 2 साल या अधिक तक चल सकता है. टीबी के इलाज में प्रोटीन रिच डाइट खाना महत्वपूर्ण है, स्थानीय सब्जी, फल और दाल लेना आवश्यक है.

कुपोषण के शिकार व्यक्तियों में टीबी होने की संभावना अधिक

सीडीओ डॉ. रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि उन व्यस्कों में टीबी जल्दी फैलता है जो कुपोषण के शिकार होते हैं, क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. इसलिए उपचार के दौरान खानपान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, उनके भोजन में पत्तेदार सब्जियां, विटामिन डी और आयरन के सप्लीमेंट्स, साबुत अनाज और असंतृप्ति वसा होना चाहिए. भोजन टीबी के उपचार में महत्वबपूर्ण भूमिका निभाता है, अनुपयुक्त भोजन से उपचार असफल हो सकता है और द्वितीय संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. अपनी सेहत का ख्याल रखें और नियमित रूप से अपनी शारीरिक जांच कराते रहें.

टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़े:
सीडीओ ने बताया कि टीबी का इलाज शुरू होने के बाद उसे बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. कई बार लोग टीबी की जांच कराने में संकोच करते हैं, अगर वजन कम हो रहा है और खांसी नहीं रुक रही है. तो समय रहते टीबी की जांच कराएं और बीमारी होने पर तुरंत दवाई लेना शुरू करना चाहिए.