छपरा। देश में गिद्ध विलुप्त श्रेणी में आ गए हैं। सरकार इनके संरक्षण के लिए कई योजनाएं भी चला रही है। सारण जिले के रिविलगंज नगर पंचायत के वार्ड -10 अंतर्गत बगीचे में वर्षो बाद दो गिद्ध के दिखाई देने पर ग्रामीणों का हुजूम जुट गया और इस नजारे को अपने कैमरे में कैद करने लगे।
स्थानीय लोगों ने बताया की शुक्रवार को शाम से ही दो गिद्ध एक पेड़ पर अपना ढेरा डाल रखा है । जो देखने से स्थानीय गिद्ध ही लग रहे है। दोनों गिद्ध का आकर व साइज का सही आकलन नहीं हो रहा है। कुछ ही दशक पहले की बात है, गिद्ध हर जगह नज़र आ जाते। पेड़, बिजली के खंभे और यहां तक कि रिहाइशी इमारतों की छतों पर भी। जानवरों की लाश को झुंड बनाकर खाना या आसमान में गोल चक्कर काटना सबसे बड़ी पहचान थी गिद्धों की। लेकिन, अब उनकी अधिकतर प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। गिद्ध इंसानों की ग़लती से गायब हुए और इसकी क़ीमत इंसानों को भी चुकानी पड़ रही है। उन्हें जान-माल, दोनों का नुकसान हो रहा।
लोगों का कहना है कि करीब 40-50 वर्षो बाद इस इलाके में अचानक दो गिद्ध दिखाई दिये है। जिसके संरक्षण के लिए बन विभाग को जागरूकता अभियान चलना चाहिए और देख रेख करना चाहिए।
स्थानीय युवक मनीष कुमार ने बताया की पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में गिद्धों की अहंम भूमिका रही है, लेकिन आज इनकी प्रजाति लगभग विलुप्त हो चुकी है। गिद्धों के विलुप्त होने से ही आज पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ावा मिल रहा है, क्योंकि यह गिद्ध मृतक पशुओं को खाकर पर्यावरण संरक्षण में सहायक सिद्ध होते थे। आज करीब चालीस पचास साल बाद यह दो गिद्ध दिखाई दिये है जिसको देखने के लिए ग्रामीणों का कल से ही भीड़ जुट रहा है। आज के छोटे बच्चे तो किताबों और सोशल मिडिया के माध्यम से ही देखे होंगे लेकिन आज सामने देख कर आपस में अलग अलग चर्चा कर रहे है।
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