छपरा में है ऐसा मंदिर, जहां पेड़-पौधे बनते हैं वैवाहिक जीवन के गवाह

छपरा
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छपरा |  छपरा जिले का मांझी प्रखंड एक खास धार्मिक परंपरा और अद्भुत आस्था का प्रतीक बन चुका है। यहां स्थित मझनपुर गांव का गंगो पारायण धर्मस्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और पारंपरिक रूप से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस स्थल की सबसे खास बात यह है कि यहां सैकड़ों पेड़-पौधों की पूजा की जाती है, जो श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभूति का केंद्र बन चुका है।

सती मैया और नाथ बाबा का आशीर्वाद

इस धर्मस्थल पर सती मैया का स्थान और नाथ बाबा का मठ स्थित है, जहाँ श्रद्धालु नियमित रूप से पूजा-अर्चना करते हैं। दोनों मंदिरों की मान्यता इतनी गहरी है कि दूर-दराज से श्रद्धालु यहां माथा टेकने पहुंचते हैं।

विवाह के बाद की खास परंपरा

इस स्थान की विशेषता सिर्फ मंदिर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यहां विवाह के बाद दूल्हा-दुल्हन द्वारा की जाने वाली पूजा की परंपरा भी बेहद अनोखी और प्राचीन है। शादी के बाद वर-वधू और उनके परिजन सरयू नदी में स्नान कर इस बगिया में स्थित पीपल, बांस, बरगद, पकड़ी जैसे पेड़-पौधों की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस पूजा से दंपति का जीवन सुख-समृद्धि और प्रेम से भरपूर रहता है।

पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा

स्थानीय लोगों के अनुसार, यह परंपरा कई पीढ़ियों से निभाई जा रही है और आज भी लोग पूरी श्रद्धा से इस अनोखी रस्म को निभाते हैं। पेड़-पौधों की पूजा को यहां जीवन रक्षा और वैवाहिक सुख की गारंटी माना जाता है।

धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं

प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह स्थान धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी बेहद संभावनाशील है। यहां के शांत वातावरण, आस्था से जुड़ी परंपराएं और सरयू नदी का मनोहारी दृश्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।