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BSNL का 4G आया नहीं, 5G सपना बन गया, कर्मचारियों ने पकड़ी आंदोलन की राह

नई दिल्ली। सरकारी टेलिकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) की बहुप्रतीक्षित 4G और 5G सेवाओं में हो रही देरी अब न केवल आम ग्राहकों को बल्कि खुद कर्मचारियों को भी खटकने लगी है। कर्मचारियों ने कंपनी की कार्यप्रणाली और प्रोजेक्ट्स की धीमी रफ्तार को लेकर विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है।

16 मई से तीन दिवसीय धरने का ऐलान


ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, BSNL कर्मचारी 16 मई से तीन दिनों तक देशभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे। इस प्रदर्शन के पीछे मुख्य कारण हैं – 4G और 5G सेवाओं का बार-बार टलता रोलआउट, FTTH (फाइबर टू द होम) इंटरनेट सेवा का खराब प्रदर्शन और भारतनेट जैसी महत्वपूर्ण परियोजना में निरंतर देरी।

ग्राहक छोड़ रहे हैं BSNL का नेटवर्क


कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी की सेवाएं कमजोर होने के कारण बड़ी संख्या में ग्राहक BSNL छोड़कर जियो और एयरटेल जैसे निजी ऑपरेटरों की ओर रुख कर रहे हैं। जबकि BSNL के रिचार्ज प्लान तुलनात्मक रूप से सस्ते हैं, फिर भी नेटवर्क की अस्थिरता और इंटरनेट की धीमी गति ने उपभोक्ताओं को निराश किया है।

FTTH सेवा भी नहीं कर पा रही कमाल


BSNL की FTTH यानी ब्रॉडबैंड सेवा भी कई सर्कलों में कमजोर प्रदर्शन कर रही है। भले ही कंपनी लाइव टीवी चैनल्स जैसी सुविधाएं जोड़ रही है, लेकिन जियो फाइबर और एयरटेल एक्सट्रीम की तेज़ी से बढ़ती पकड़ ने सरकारी सेवा को पीछे छोड़ दिया है।

भारतनेट प्रोजेक्ट भी अधर में


भारतनेट प्रोजेक्ट, जिसे ग्रामीण भारत में इंटरनेट पहुंचाने का बड़ा माध्यम माना जा रहा था, अपनी धीमी गति से कर्मचारियों और हितधारकों दोनों को परेशान कर रहा है। भारतीय दूरसंचार मंच ने BSNL के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर रॉबर्ट जे रवि को पत्र लिखकर नाराज़गी जाहिर की है और सेवाओं में तेजी लाने की मांग की है।

BSNL के ग्राहक लगातार घट रहे


ट्राई (TRAI) के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 में BSNL के ग्राहकों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई। यह सिलसिला बीते कुछ महीनों से लगातार जारी है। इससे पहले जुलाई 2024 में जब निजी टेलिकॉम कंपनियों ने अपने रिचार्ज प्लान्स महंगे किए थे, तब बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं ने BSNL की ओर रुख किया था। लेकिन बेहतर नेटवर्क न मिलने की वजह से वे वापस लौट गए।

सैटेलाइट इंटरनेट से बढ़ेगी चुनौती


आने वाले दिनों में सैटेलाइट इंटरनेट के विस्तार के साथ BSNL के लिए चुनौती और भी बढ़ सकती है। ऐसी स्थिति में यदि कंपनी 4G और 5G सेवाओं का शीघ्र और प्रभावी रोलआउट नहीं करती, तो यह सरकारी टेलिकॉम सेक्टर के भविष्य पर सवालिया निशान बन सकता है।

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

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