क़ृषिबिहार

PM Krishi sinchai Yojana: ड्रिप और स्प्रिंकलर तकनीक से बदल रही खेती की तस्वीर

आधुनिक सिंचाई से 30% उर्वरक की बचत और 50% तक पैदावार में इजाफा

पटना। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (सूक्ष्म सिंचाई) से बेहतर सिंचाई के साथ ही जल संरक्षण भी हो रहा है। इसके लिए राज्य सरकार केंद्र सरकार के सहयोग से किसानों को बड़ा अनुदान दे रही है। सूक्ष्म सिंचाई एक उन्नत सिंचाई प्रणाली है जिसके माध्यम से पौधे की जड़ों में विशेष रूप से निर्मित प्लास्टिक पाईपों के माध्यम से कम समय अन्तराल पर पानी दिया जाता है। इससे पारंपरिक सिंचाई की तुलना में 60 प्रतिशत कम जल की खपत होती है।

25 से 30 प्रतिशत उर्वरक की बचत

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (सूक्ष्म सिंचाई) में ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई एवं रेनगन सिंचाई पद्धति का उपयोग किया जाता है। इस प्रणाली को अपनाकर किसान 25 से 30 प्रतिशत उर्वरक की बचत कर सकते हैं। इस सिंचाई प्रणाली से फसल की उत्पादकता में 40 से 50 प्रतिशत की वृद्धि तथा उत्पाद की गुणवत्ता उच्च होती है। साथ ही, इससे खरपतवार के जमाव में 60 से 70 प्रतिशत की कमी होती है।

कृषि उत्पादकता में सुधार करना है लक्ष्य

बिहार में सिंचाई से आच्छादित कुल क्षेत्र के लगभग 0.5 प्रतिशत क्षेत्र में इस आधुनिक सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल हो रहा है। कृषि रोड मैप 2017-22 में इस प्रणाली को कम से कम कुल आच्छादित क्षेत्र के लगभग 2 प्रतिशत क्षेत्रों में प्रतिस्थापित किये जाने का लक्ष्य है। इस योजना के तहत किसानों को राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त टॉप-अप प्रदान करते हुए सभी श्रेणी के किसानों को ड्रिप अंतर्गत 90 प्रतिशत एवं स्प्रिंकलर अन्तर्गत 75 प्रतिशत सहायता अनुदान देने का प्रावधान है।

बिहार में किसानों को राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त टॉप-अप भी दिया जाता है। सभी श्रेणी के किसानों को ड्रिप अंतर्गत 70 प्रतिशत (वृहद किसान) से 80 (लघु एवं सीमांत किसान) प्रतिशत एवं स्प्रिंकलर अन्तर्गत 45 प्रतिशत (वृहद किसान) से 55 प्रतिशत (लघु एवं सीमांत किसान) सहायता अनुदान मिलता है। इस योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादकता में सुधार करना और कुशल जल प्रबंधन के माध्यम से जल संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है।

News Desk

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