छपरा। सारण जिले के मांझी प्रखण्ड में स्थित रामयादी बाबा का मंदिर आस्था और विश्वास का अनूठा प्रतीक है। यह मंदिर छपरा से लगभग पाँच किलोमीटर उत्तर, वनवार से तीन किलोमीटर दक्षिण और कोपा से पाँच किलोमीटर पश्चिम दिशा में स्थित है। यहाँ की लोक मान्यता और सांस्कृतिक महत्व ने इसे एक पवित्र स्थान बना दिया है।
मंदिर की विशेषता इसके अद्वितीय उपचार विधि में है। यहाँ पर मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति को जहरीला सांप काट ले और उसे तुरंत बाबा के दरबार में लाया जाए, तो यहाँ के ग्रामीण बाबा के मंदिर की मिट्टी खिलाकर और पीपल के पत्ते से विष को खींच लेते हैं। यह उपचार बिना किसी झाड़-फूंक के ही किया जाता है, और विश्वास के अनुसार, सांप के काटने के तुरंत बाद ही उपचार शुरू करना अनिवार्य होता है।
हर साल सावन मास की नागपंचमी को मंदिर में एक विशेष मेला लगता है। भक्तजन बड़े श्रद्धा भाव से दूध और लावा चढ़ाते हैं और बाबा की पूजा अर्चना करते हैं। मंदिर की मिट्टी को प्रसाद के रूप में घर के सभी सदस्यों को खिलाया जाता है, ताकि सांप के जहर से बचाव की प्रार्थना की जा सके।
रामयादी बाबा का मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह विश्वास और परंपरा का संगम भी है। यहाँ की आस्था और बाबा की शक्ति में विश्वास रखने वाले भक्त हर साल इस पवित्र स्थान पर जुटते हैं, और बाबा की कृपा से अपने जीवन को सुरक्षित और सम्पन्न मानते हैं। इस मंदिर की मान्यता और लोक विश्वास इसे एक विशेष धार्मिक स्थान बना देते हैं, जहाँ आस्था और परमात्मा के होने का प्रतीक स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
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