• जिले में चलेगा सर्वजन दवा सेवन अभियान
• अभियान के सफलता को लेकर प्रशिक्षण शिविर आयोजित
• आईडीए अभियान के दौरान खिलायी जायेगी तीन प्रकार की दवा
• निजी और सरकारी स्कूलों को बच्चों को पहले खिलायी जायेगी दवा
छपरा। जिले में फाइलेरिया को जड़ से मिटाने के लिए तथा इससे बचाव के लिए सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलाया जायेगा। 10 फरवरी से जिले के मढौरा और अमनौर को छोड़कर सभी प्रखंडों में आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लाभार्थियों को दवा खिलायेंगी। इस अभियान के सफल क्रियान्वयन को लेकर जिला स्तरीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। प्रथम बैच में 11 प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों, बीएचएम, बीसीएम, वीबीडीएस और सीएचओ को प्रशिक्षण दिया गया। सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा की अध्यक्षता में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह और जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार और सहयोगी संस्था के प्रतिनिधियों के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि अभियान के दौरान यह सुनिश्चित करना है कि आशा कार्यकर्ता अपने आंखों के सामने लाभार्थी को दवा खिलाएं। किसी भी परिस्थिति में दवा को बांटना नहीं है, बल्कि सामने हीं दवा खिलाना है। आईडीए राउंड के दौरान तीन तरह की दवा खिलानी है, जिसमें डीईसी, अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन शामिल है। 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चें और गर्भवती महिलाएं व गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों को दवा नहीं देनी है। आइवरवमेक्टिन की दवा हाईट के अनुसार देनी है। इस मौके पर डीएमओ डॉ. दिलीप कुमार सिंह, जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार, डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह, वीबीडीसीओ अनुज कुमार, कोमल कुमारी, पिरामल के प्रोग्राम लीड अरविन्द पाठक, पंकज कुमार, सीफार के डीपीसी गनपत आर्यन, पीओ कृष्णा सिंह, शाकिब समेत अन्य मौजूद थे।
अभियान के सफलता में सीएचओ की भूमिका महत्वपूर्ण:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि सर्वजन दवा सेवन अभियान में सीएचओ की भूमिका महत्वपूर्ण है। वे आशा कार्यों की मॉनिटरिंग करेंगे साथ हीं क्षेत्र में भ्रमण भी करेंगे। अभियान के सफलता के सभी के पास माइक्रोप्लान होना जरूरी है। ग्रामीण क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ता और शहरी क्षेत्र में आंगनबाड़ी सेविका और वालेंटियर के माध्यम से दवा खिलायी जायेगी। उन्होने कहा कि इस बार मढौरा और अमनौर प्रखंड में यह अभियान नहीं चलेगा, क्योंकि नाइट ब्लड सर्वे के दौरान फाइलेरिया के मरीजों के पॉजिटिव रेट कम आया है। बाकि सभी प्रखंडों में यह अभियान चलेगा। 10 फरवरी से अभियान की शुरूआत की जायेगी।
उन्होने कहा कि जिलास्तर पर जिनकी ट्रेनिंग हो रही है वे मास्टर ट्रेनर है। उनकी जिम्मेदारी है कि प्रखंड स्तर पर आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देंगे। डॉ. दिलीप ने कहा कि जब तक एक घर में उनके पूरे सदस्य दवा नहीं खा लेते हैं तब तक आशा कार्यकर्ता उस घर का रि-विजिट करेगी और दवा खिलाना सुनिश्चित करेगी।
साथ हीं उन्होने यह भी कहा कि इस अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता हाइड्रोसील के मरीजों की भी पहचान करेंगी, और जिनका ऑपरेशन नहीं हुआ तो उन्हें ऑपरेशन के लिए रेफर करेगी। अगर किसी का ऑपरेशन हो गया है तो इसकी जानकारी भी उपलब्ध करायेंगी। अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता को प्रोत्साहन राशि भी दिया जायेगा।
बूथ बनाकर स्कूली बच्चों को खिलायी जायेगी दवा:
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार ने प्रशिक्षण देते हुए कहा कि यह अभियान 17 दिनों तक चलेगा। शुरूआती तीन दिन तक बूथ बनाकर दवा खिलायी जायेगी। सर्वाजनिक स्थल, पंचायत भवन, चौक-चौराहा, आंगनबाड़ी केंद्र, पीएचसी, सीएचसी, स्कूल कॉलेज में बूथ बनाया जायेगा। निजी और सरकारी स्कूलों में बूथ बनाकर बच्चों को दवा खिलायी जायेगी। उन्होने कहा कि लंच समय खाना खाने के बाद बच्चों को दवा खिलाना है। ताकि बच्चें दवा खाने के बाद अपने घर के लोगों को भी इसके बारे में जागरूक कर सके।
उन्होने कहा कि अभियान के दौरान मार्किंग भी की जायेगी। ऊंगली पर मार्कर से निशान लगाया जायेगा। साथ हीं डोर-टू-डोर अभियान के द्वारा घरों की मार्किंग भी की जायेगी। आशा कार्यकर्ता द्वारा एक दिन में कम से कम 40 घरों के लोगों दवा खिलाया जाना है। यह सुनिश्चित करना है कि आशा कार्यकर्ता अपने सामने हीं दवा खिलाएं। किसी भी हाल में दवा का वितरण नहीं करना है। साथ हीं महत्वपूर्ण बात यह है कि दवा खाली पेट नहीं खिलाना है।
प्रखंड स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम का होगा गठन:
अभियान के दौरान प्रखंड स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया जायेगा। ताकि किसी भी स्थिति से निपटा जा सके। टीम की जिम्मेदारी होगी कि दवा खाने के बाद अगर किसी लाभार्थियों को जी-मचलना, बुखार, दर्द, उल्टी या उल्टी जैसा मन होना, आदि की शिकायत मिलती है तो तुरंत उसकी जांच की जायेगी।
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