छपरा। विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला, जो हर साल अपने चिड़िया बाजार के लिए प्रसिद्ध रहा है, इस बार अपने कुत्ते बाजार के कारण चर्चा में है। दशकों पहले यहां सुगा, तोता, मैना, मोर, कोयल और खरगोश जैसी रंग-बिरंगी चिड़ियों की खरीद-बिक्री होती थी, लेकिन कानूनी प्रतिबंधों के कारण अब बच्चों को रंगीन चिड़ियों को देखने का भी मौका नहीं मिल रहा।
इसके बजाय, सोनपुर मेला में अब विदेशी और देशी नस्लों के कुत्तों की बिक्री हो रही है, जो लोगों का मुख्य आकर्षण बने हुए हैं। इस कुत्ते बाजार में विभिन्न नस्लों के कुत्ते उपलब्ध हैं, जिनमें जर्मन शेफर्ड, लेब्रा, रॉटवेइलर, डोबरमैन, ग्रेडियन, पामेलियन और जैलो एंटनी जैसी नस्लें शामिल हैं। कुत्तों की कीमतें चार-पांच हजार रुपये से लेकर 75 हजार रुपये तक हैं। कुत्ते के खरीदारों और विक्रेताओं की बढ़ती संख्या यह साबित करती है कि इस बाजार में अब पहले से कहीं ज्यादा रुझान देखा जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के कुत्ते व्यापारी खालिद बताते हैं कि लेब्रा नस्ल के कुत्ते की कीमत 8 से 10 हजार रुपये तक है, जबकि पामेलियन 5 हजार रुपये में उपलब्ध है। कल्चर पॉम नस्ल के कुत्ते भी यहां बिक्री के लिए आए हैं। कुत्तों के प्रशिक्षण को लेकर भी जानकारी दी जा रही है, जिससे ग्राहक यह सुनिश्चित कर सकें कि वे प्रशिक्षित और स्वस्थ कुत्ते ही खरीद रहे हैं।
विशेष रूप से गोल्डन रिट्रीवर्स नस्ल के कुत्ते को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। कई मेलार्थियों का कहना है कि कुत्ता पालने से घर की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, लेकिन कुत्ता खरीदने से पहले कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए।
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