छपरा। नई दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस के अवसर पर होने वाली परेड में तरैया प्रखंड के डेवढ़ी पंचायत की मुखिया प्रियंका सिंह को आमंत्रण पत्र मिला है। वे परेड में शामिल होने का आमंत्रण पत्र प्राप्त करने वाली सारण जिले की एक मात्र महिला है। वह महिला सशक्तिकरण की मिशाल बनी हुई है। पंचायती राज मंत्रालय द्वारा गणतंत्र दिवस के निमंत्रण से मुखिया व स्वजन समेत क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर है। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व पर नई दिल्ली में विशेष परेड का आयोजन किया जाता है।
इस परेड में शामिल होना यह गौरव सारण जिले के एमबीए मुखिया सह सरेया बसंत निवासी ई. दिलीप सिंह की पत्नी प्रियंका सिंह को प्राप्त हुआ है। परेड में शामिल होने के लिए मुखिया अपने पति के साथ नई दिल्ली रवाना हो गई है।
रवाना होने से पहले उन्होंने बताया कि नई दिल्ली गणतंत्र दिवस समारोह में परेड में शामिल होना गौरव की बात है। साथ ही परिवर्तन के लिए शुरुआत पंचायत से होनी चाहिए। तब जाकर गांव का विकास होगा खासकर वहां की महिलाओं को महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी पहल करने की जरूरत है।
संसद भवन में महिला सशक्तिकरण को लेकर आयोजित सेमिनार में वह बिहार की 25 महिला जनप्रतिनिधियों का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी है। साथ ही पंचायती राज विभाग भारत सरकार द्वारा जयपुर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान महिला फ्रेंडली पंचायत के सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में लगातार पंचायत वासियों को जागरूक करते हुए घूम – घूम कर शिक्षा के प्रति उनके द्वारा प्रेरित किया गया है।
महिला सशक्तिकरण को लेकर महिलाओं को जीविका से जुड़ उनके लिए वरदान साबित कराया गया है। जीविका से जुड़ते ही महिलाओं को रोजगार मिला। इससे उनकी आर्थिक स्थिति ठीक होने की दिशा में उनके द्वारा पहल कराया गया है। वह बिजनेस स्कूल आफ दिल्ली से एमबीए की पढ़ाई पूरी की। कोर्स पूरा होते ही पहले महिंद्रा एंड महिंद्रा और बाद में इंडिगो एयरलाइंस में नौकरी मिल गई। वहां से 80 हजार की सैलरी पर कार्य करने वाली प्रियंका नौकरी छोड़ गांव का रुख की।
गांव पहुंचते ही उन्होंने पंचायत प्रतिनिधि बन गांव में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की बात कही। उसपर घर वालों को कुछ अटपटा लगा। बाद में सभी राजी हो गए। वैसे भी इनके ससुर शंभू सिंह लगातार 32 वर्षो से मुखिया बन लोगों की सेवा किये है। इनसे ही प्रेरित होकर वे मुखिया बन आज महिलाओं के लिए मिशाल बनी हुई है।
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