•फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर चलेगा नाईट ब्लड सर्वे
• रात में हीं एक्टिव होता है माइक्रो फाइलेरिया
•नाईट ब्लड सर्वें को लेकर सीएचओ और एएनएम को दिया गया ट्रेनिंग
•प्रत्येक प्रखंड में एक स्थायी और एक अस्थायी सैंपल कलेक्शन सेंटर बनाया गया
छपरा। फाइलेरिया को जड़ से मिटाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इसको लेकर विभिन्न स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। हर साल फाइलेरिया से बचाव के लिए सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है। सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम से पूर्व जिले में नाइट ब्लड सर्वे किया जाता है। जिससे माइक्रो फाइलेरिया के बारे में पता लगाया जाता है। फिर से जिले में नाइट ब्लड सर्वे किया जाना है। इसको लेकर जिले के प्रत्येक प्रखंड में एक सेंटिनल साइट तथा एक रैंडम साइट बनाया गया है। जिले में कुल 42 साइट चयनित किया गया है। जहां नाइट ब्लड सर्वे के दौरान 20 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों का ब्लड सैंपल लिया जायेगा। इसके सफल क्रियान्वयन को लेकर सदर अस्पताल स्थित जीएनएम स्कूल परिसर में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें सीएचओ और एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया।
रात में हीं शरीर में एक्टिव होता है माइक्रो-फाइलेरिया:
प्रशिक्षण देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के जोनल कोर्डिनेटर डॉ. माधुरी ने बताया कि सामान्य व्यक्ति के शरीर में माइक्रो फाइलेरिया की पहचान रात में ही हो सकता है। क्योंकि रात में ही किसी व्यक्ति का शरीर आराम की अवस्था में रहता है। ऐसे समय में ही शरीर में उपलब्ध माइक्रो फाइलेरिया खून में एक्टिव अवस्था में होते हैं। इस समय जांच करने से उनमें शामिल माइक्रो फाइलेरिया की पहचान हो सकती है. जिसे मेडिकल सहायता प्रदान करते हुए सुरक्षित किया जा सकता है।
मुखिया-चौकदार और जनप्रतिनिधियों का लिया जायेगा सहयोग:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे से पहले सोशल मोबलाइजेशन आवश्यक है। इसको लेकर पंचायत के मुखिया, वार्ड सदस्य, चौकीदार, विकास मित्र के सहयोग जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। इसके साथ हीं आशा कार्यकर्ता और आंगनबाडी सेविका द्वारा घर-घर जाकर नाइट ब्लड सर्वे की जानकारी दी जायेगी। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग साइट पर आकर अपना ब्लड सैंपल दे सके। उन्होने बताया कि इसके लिए 5 सदस्यीय टीम का गठन किया जायेगा। जिसमें लैब टेक्निशियन, एएनएम, बीसीएम, सीएचओ, आशा कार्यकर्ता शामिल होंगी। साथ हीं प्रखंड स्तर पर माइक्रो प्लान तैयार किया गया है। सोशल मोबलाइजेशन में सीएचओ की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। साथ हीं सुपरविजन के लिए जिलास्तर पर टीम गठित किया जायेगा। टीम की जिम्मेदारी होगी कि क्षेत्रों में जाकर जांच करेगी कि नाइट ब्लड सर्वे बेहतर ढंग से चल रहा है या नहीं।
प्रत्येक प्रखंड में बनाया गया दो-दो साइट:
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार ने बताया कि जिले में प्रत्येक प्रखंड में 1 सेंटिनल तथा 1 रैंडम साइट बनाया गया है। यह साइट माइक्रो- फाइलेरिया के मरीजों के संख्या के आधार पर बनाया गया है। प्रत्येक साइट पर 300 लोगों का सैंपल लिया जाना है। चार दिनों में प्रत्येक साइट पर 20 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों का सैंपल कलेक्शन किया जायेगा और जांच किया जायेगा कि उनके शरीर में माइक्रो- फाइलेरिया है या नहीं। इस मौके पर जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेशचंद्र कुमार, एनसीडीओ भूपेंद्र नारायण सिंह, वीडीसीओ अनुज कुमार, पिरामल के डीएल हरिशंकर कुमार, प्रोग्राम लीड अरविन्द पाठक, पीओसीडी पंकज शर्मा, सीफार के डिविजनल प्रोग्राम कोर्डिनेटर गनपत आर्यन, प्रोग्राम एसोसिएट कृष्णा सिंह समेत सभी सीएचओ, एएनएम, वीबीडीएस मौजूद थे।
Publisher & Editor-in-Chief