बिहार

Adani Power Project: बिहार में अडाणी के मेगा पावर प्रोजेक्ट से 15 हजार युवाओं को मिलेगा रोजगार

125 यूनिट फ्री बिजली और 2,400 MW पावर प्रोजेक्ट से बदल रही है बिहार की ऊर्जा तस्वीर

पटना। नीतीश सरकार की नई ऊर्जा नीति और अडाणी पावर प्रोजेक्ट के चलते बिहार में बिजली और विकास की तस्वीर पूरी तरह बदल रही है। इस कदम का आगामी चुनावों पर भी खासा असर दिखने की संभावना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यवासियों के लिए ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए हर घरेलू उपभोक्ता को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की योजना लागू की है।

इस योजना का सीधा लाभ 1 करोड़ 89 लाख परिवारों को मिल रहा है। लाखों उपभोक्ताओं का बिजली बिल शून्य हो गया है, जिससे उनकी अतिरिक्त आमदनी अब अन्य घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने में काम आ रही है। गांव से लेकर शहर तक उपभोक्ता अब बेफिक्र होकर बिजली का इस्तेमाल कर पा रहे हैं, जिसका असर बच्चों की पढ़ाई, छोटे कारोबार और जीवन-स्तर पर साफ दिखाई दे रहा है।

अडाणी पावर प्रोजेक्ट से चमकेगा बिहार

अडाणी पावर ने बिहार के भागलपुर जिले के पीरपैंती में ₹26,500 करोड़ का निवेश कर 2,400 मेगावाट का अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट लगाने का ऐलान किया अडाणी पावर लिमिटेड और बिहार राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के बीच एक ऐतिहासिक करार पर हस्ताक्षर हो गए हैं। इस समझौते के तहत अगले 25 वर्षों तक राज्य को 2400 मेगावाट बिजली उपलब्ध कराई जाएगी। यह प्लांट अगले 4–5 वर्षों में पूरा होगा और प्रत्येक वर्ष लाखों घरों तथा हज़ारों उद्योगों को सस्ती और स्थायी बिजली उपलब्ध कराएगा।

परियोजना के निर्माण के दौरान 10,000–12,000 लोगों को रोजगार मिलेगा और संचालन के समय 3,000 से ज्यादा युवाओं के लिए स्थायी नौकरी सुनिश्चित होगी। अडाणी ग्रुप ने यह प्रोजेक्ट सबसे कम आपूर्ति दर (₹6.075 प्रति यूनिट) पर अपने नाम किया है, जिससे उपभोक्ताओं की बजट में भी राहत मिलेगी।

लालू राज के अंधेरे से निकलकर हर घर तक पहुंची रोशनी

बिहार में लालू यादव के शासनकाल के दौरान बिजली की स्थिति बेहद खराब थी। उस समय राज्य में केवल 17 लाख उपभोक्ता थे, पावर सब-स्टेशनों की संख्या महज़ 368 थी और प्रति व्यक्ति खपत सिर्फ 70 यूनिट थी। बिजली की भारी कमी विकास की सबसे बड़ी अड़चन बनी हुई थी। लेकिन, आज तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने बिजली क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रगति की है। अब राज्य में 2.12 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं। पावर सब-स्टेशनों की संख्या बढ़कर 1263 हो गई है। प्रति व्यक्ति खपत 70 यूनिट से बढ़कर 363 यूनिट तक पहुँच गई है। 2005 में जहाँ बिहार बिजली संकट से जूझ रहा था, वहीं आज राज्य ने आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। पहले जहाँ लोग अंधेरे में जीने को मजबूर थे, वहीं अब हर घर में रोशनी पहुँच चुकी है।

नीतीश के फैसले बन सकते हैं चुनावी गेमचेंजर

मुफ्त बिजली योजना और अडाणी की बड़ी निवेश परियोजना को चुनावी ‘गेमचेंजर’ माना जा रहा है। नीतीश सरकार इस कदम को अपनी उपलब्धियों के रूप में प्रमुखता से प्रचारित कर रही है, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों तबकों में सकारात्मक असर दिख सकता है। विपक्ष इस कदम को चुनावी लोक-लुभावन वादा बता रहा है, लेकिन जनता में बनी राहत की भावना चुनाव में सरकार के पक्ष में माहौल बना सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि मुफ्त बिजली और मेगा प्रोजेक्ट जैसे फैसले सरकार की विकास छवि को मजबूती देते हैं और वोट शेयर बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

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