छपरा। जिले के मशरख प्रखंड स्थित गंडामन गांव में आज भी मातम है। 11 साल पहले इसी गांव में मिड डे मील खाने से 23 बच्चों की मौत हो गई थी। मामले में प्रधानाध्यापिका की लापरवाही सामने आई थी,उनके खिलाफ केस चला और उन्हें सजा भी हुई, लेकिन इस आपराधिक लापरवाही को याद कर लोग आज भी सिहर उठते हैं। मध्याह्न भोजन योजना के निवाले से जान गंवाने वाले नवसृजित विद्यालय के 23 बच्चों की बरसी मंगलवार को मनाई गई।
महाराजगंज सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने स्मारक पर पहुंच कर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उनके साथ साथ ग्रामीणों ने हवन और पूजन किया। मृत बच्चों की तस्वीर पर माल्यार्पण किया और उनके आत्मा की शांति की कामना की।
क्या था पूरा मामला:
16 जुलाई 2013 को मशरक के गंडामन में विषाक्त मिड डे मील खाने से 23 बच्चों की असमय मौत हो गयी थी। इस घटना ने पूरे देश समेत विश्व को झकझोर दिया था। इस दुःखद घटना के 11 साल हो गए। इतना समय बीत जाने के बाद भी लोग उस भयानक दिन को याद कर आज भी कांप जातें हैं और आंखे नम हो जातीं हैं।
उस रोज प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई कर रहे मासूम बच्चे खाना मिलने का इंतजार कर रहे थे। रसोइया ने एक बच्चे को स्कूल की प्रधान शिक्षिका मीना देवी के घर से सरसों तेल लाने को भेजा। सरसों तेल के डिब्बे के पास ही छिड़काव के लिए तैयार कीटनाशक रखा था। बच्चे ने तेल के बदले कीटनाशक का घोल लाकर दे दिया, जो बिल्कुल सरसों तेल जैसा ही था। रसोइया जब सोयाबीन तलने लगी तो उसमें से झाग निकलने लगा। उसने इसकी शिकायत एचएम मीना देवी से की। मीना देवी ने इसका ध्यान नहीं दिया। उसके बाद जब खाना बनकर तैयार हो गया और बच्चों को परोसा गया तो बच्चों ने खाने का स्वाद खराब होने की शिकायत की। बच्चों की शिकायत को प्रधानाध्यापिका ने नजरअंदाज कर दिया।जिसके कुछ देर बाद बच्चों को उल्टी और दस्त शुरू हो गया। इसके बाद देखते ही देखते 23 बच्चों ने दम तोड़ दिया।
विद्यालय की रसोइया और 25 बच्चे पीएमसीएच में कठिन इलाज के बाद गांव वापस लौट पाये थे।23 बच्चों की मौत को लेकर मशरक थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।उसमें प्रधानाध्यापिका मीना देवी समेत उनके पति अर्जुन राय को भी आरोपित किया गया था। कोर्ट ने पति अर्जुन राय को बरी कर दिया था लेकिन प्रधानाध्यापिका को दोषी मानते हुए दो सजा सुनाई गई थी।
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