रेलवे स्टेशन पर प्रसव पीड़िता के लिए फरिश्ता बना Army का डॉक्टर, मेजर रोहित ने कराया सुरक्षित प्रसव
ना ऑपरेशन थिएटर, ना मेडिकल किट – फिर भी बचा ली दो ज़िंदगियां

रेलवे डेस्क। वीरता सिर्फ युद्ध के मैदान में नहीं, कभी-कभी यह प्लेटफॉर्म नंबर पर भी दिखती है। झांसी रेलवे स्टेशन पर एक गर्भवती महिला की अचानक तबीयत बिगड़ने पर सेना के डॉक्टर मेजर रोहित बचवाला ने बिना देर किए मोर्चा संभाल लिया और कम संसाधनों में सुरक्षित प्रसव करवा कर मां और नवजात की जान बचा ली। इस अद्वितीय साहस और सेवा-भाव के लिए यात्रियों से लेकर रेलवे कर्मचारियों तक सभी ने मेजर रोहित को देवदूत करार दिया।
सेना के डॉक्टर की फुर्ती और मानवता की मिसाल
मूल रूप से हैदराबाद के निवासी और वर्तमान में आर्मी हॉस्पिटल झांसी में पदस्थापित 31 वर्षीय मेजर रोहित बचवाला अपने परिवार से मिलने के लिए एक महीने की छुट्टी पर हैदराबाद जा रहे थे। वे झांसी रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे, तभी फुटओवर ब्रिज पर एक महिला को प्रसव पीड़ा से तड़पते देखा।
मेजर रोहित ने बिना किसी झिझक तुरंत मदद का निर्णय लिया और बिना किसी आधुनिक उपकरण के, उपलब्ध तात्कालिक संसाधनों—पॉकेट चाकू, हेयर क्लिप, धोती और रेलवे कर्मचारियों द्वारा दिए गए दस्ताने—का इस्तेमाल करते हुए महिला की सुरक्षित डिलीवरी करवाई।
रेलवे और सेना का तालमेल बना जिंदगी की डोर
रेलवे की महिला टीटीई और मेडिकल स्टाफ ने स्थिति को नियंत्रित करने में मदद की। उन्होंने मौके को ढक कर महिला की गोपनीयता सुनिश्चित की और तुरंत झांसी कंट्रोल रूम व मेडिकल टीम को सक्रिय किया। एम्बुलेंस बुलाकर मां और नवजात को नजदीकी अस्पताल भेजा गया, जहां दोनों की हालत स्थिर बताई गई।
पनवेल से बाराबंकी जा रही थी महिला यात्री
मूलतः पनवेल से गोरखपुर एक्सप्रेस (15066) से यात्रा कर रही महिला अपने पति और एक बच्चे के साथ थी। बाराबंकी पहुंचने से पहले ही दर्द शुरू हो गया और उन्होंने रेलवे की “रेल मदद ऐप” के जरिए चिकित्सा सहायता मांगी। झांसी स्टेशन पर ट्रेन के रुकते ही परिवार को उतार लिया गया।
रेलवे अधिकारी बोले – मेजर रोहित ने निभाया असली देशसेवा का धर्म
उत्तर मध्य रेलवे के झांसी डिवीजन के सीनियर अधिकारियों ने बताया कि “रेल मदद ऐप” पर जैसे ही सूचना मिली, कंट्रोल कक्ष सक्रिय हुआ। लेकिन घटनास्थल पर पहले पहुंचकर मेजर रोहित ने जिस तरह परिस्थिति संभाली, वह असाधारण है। महिला टीटीई ने उन्हें “ज़रूरत की घड़ी में आए फरिश्ता” कहा।
जनता ने जताया आभार, सोशल मीडिया पर हो रही सराहना
इस घटना के बाद मेजर रोहित बचवाला की सराहना सोशल मीडिया पर भी तेज़ी से फैल रही है। आम नागरिकों से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक ने उन्हें “सेवा का सच्चा सिपाही” कहा।
ये मेरी ड्यूटी थी, वर्दी सिर्फ युद्ध के लिए नहीं होती
“मैं सिर्फ अपनी ट्रेन का इंतजार कर रहा था, पर जब देखा कि किसी की जान खतरे में है तो देर नहीं की। संसाधन भले सीमित थे, पर हौसला और दायित्व पूरा था। एक सैनिक और डॉक्टर दोनों होने के नाते यह मेरा धर्म था।” मेजर रोहित |
मानवता की सबसे बड़ी डिग्री – संवेदनशीलता
इस पूरी घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वर्दी पहनना केवल देश की सीमाओं की रक्षा करना नहीं, बल्कि हर मुश्किल घड़ी में इंसानियत का साथ देना भी एक सैनिक का धर्म है। मेजर रोहित बचवाला की यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है।