छपरा। सात फेरे लेकर जीवनभर साथ निभाने की कस्में तो सभी खाते है। लेकिन इस कस्म को पूरा कोई-कोई हीं कर पाता है। एक महिला जो अपने जीवनसाथी को जीवनदान देने के लिए अपने जान की परवाह किये बिना अपना लीवर डोनेट कर देती है और पति को मौत के मूंह से बाहर निकाल लेती है। लेकिन कुछ हीं दिनों बाद पति का निधन हो जाता है।
फिर पत्नी की भी कुछ दिनों के बाद निधन हो गया। यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। सारण जिले के मांझी थाना क्षेत्र के माड़ीपुर गांव निवासी सेना के रिटायर्ड जवान उपेंद्र सिंह का लिवर ट्रांसप्लांट के बाद भी असामयिक निधन हो जाने के महज बीस दिनों के अंदर पतिव्रता पत्नी बुगलेश देवी ने भी दम तोड़ दिया। जिससे उनके परिवार में पूरी तरह से मातम छा गया है।
वहीं गांव के लोग शोकाकुल हैं। सबकी जुबान पर दम्पति के गहरे आत्मीय लगाव की चर्चा है।
बताते चलें कि बीते 18 मार्च को दिल्ली के एक अस्पताल में इलाजरत माँझी के माड़ीपुर गाँव निवासी व सेना के अवकाश प्राप्त जवान लिवर रोग से पीड़ित उपेन्द्र सिंह का निधन हो गया था। उधर पति की मौत की सूचना मिलने के बाद आहत बीमार पत्नी बुगलेश देवी को भी परिजनों द्वारा चिंताजनक स्थिति में दिल्ली में हीं एक निजी अस्पताल में एडमिट कराया गया था।
जहाँ विगत रविवार की रात को पत्नी ने भी दम तोड़ दिया। जिसके बाद परिजनों ने दिल्ली में हीं मृतका का भी दाह- संस्कार सम्पन्न करा दिया और मायूस होकर वापस जब गांव लौटे तो ग्रामीणों, रिश्तेदारों व शुभचिंतकों की भीड़ जुट गई।
परिजनों ने बताया कि कुछ हीं दिन पहले पत्नी बुगलेश देवी ने अपने बीमार पति को अपना लिवर डोनेट कर जीवनदान देने का प्रयास किया था। मगर लिवर ट्रांसप्लांट होने के बाद से दोनों बीमार चल रहे थे। दिल्ली में ही दोनों को इलाज के लिए एडमिट कराया गया था। जहां 20 दिन पहले पति ने साथ छोड़ दिया। उसके बाद उनके गम में बीमार चल रही पत्नी भी चल बसी।
अपने माता- पिता के असामयिक निधन से मर्माहत पुत्र प्रभात कुमार सिंह ने दोनों को मुखाग्नि देकर दाह संस्कार सम्पन्न करा दिया। दम्पत्ति के लम्बे इलाज के बाद हुए निधन से टूट चुके परिजन दोनों के एक साथ श्राद्ध संस्कार सम्पन्न कराने की तैयारियों में जुटे हुए हैं। पूरे गांव में उनके असामयिक निधन की चर्चा है।
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