
पटना। आर्थिक सशक्तिकरण की राह तलाश रहे मत्स्य कृषकों और मछुआरों के लिए बिहार सरकार सुनहरा अवसर लेकर आई है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग राज्य में मछली पालन को बढ़ावा देने और उत्पादन में वृद्धि करने के उद्देश्य से निःशुल्क प्रशिक्षण देने जा रहा है। इस पहल से न केवल मत्स्य पालकों की आय में बढ़ोतरी होगी, बल्कि राज्य के मत्स्य उद्योग को नई दिशा भी मिलेगी।
ऑनलाइन करें आवेदन
इस योजना के तहत राज्य के कुल 9,455 मत्स्य कृषकों/मछुआरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए इच्छुक अभ्यर्थियों को विभाग की आधिकारिक वेबसाइट https://fisheries.bihar.gov.in/ पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है।
317 बैचों में होगा प्रशिक्षण
“मत्स्य प्रशिक्षण एवं प्रसार योजना 2025-26” के अंतर्गत राज्य और राज्य के बाहर स्थित प्रतिष्ठित मत्स्य संस्थानों में कुल 317 बैचों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। प्रशिक्षण पूरी तरह निःशुल्क है। लाभार्थियों से केवल निबंधन शुल्क लिया जाएगा।
- केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, कीकीनाडा में प्रशिक्षण के लिए ₹250 निबंधन शुल्क
- अन्य प्रशिक्षण केन्द्रों में प्रशिक्षण हेतु मात्र ₹100 शुल्क
यह राशि जिला मत्स्य कार्यालय में जमा करनी होगी।
मार्ग व्यय भी देगा विभाग
राज्य से बाहर प्रशिक्षण के लिए चयनित लाभार्थियों को आने-जाने का किराया (मार्ग व्यय) भी सरकार वहन करेगी। इससे गरीब और वंचित वर्ग के मछुआरे भी बिना किसी आर्थिक बोझ के इस योजना का लाभ उठा पाएंगे।
पहली बार प्रशिक्षण लेने वालों को प्राथमिकता
इस योजना में चयन के दौरान पहली बार प्रशिक्षण लेने वाले इच्छुक मछुआरों को प्राथमिकता दी जाएगी। वहीं, पहले से प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थी केवल तीन साल बाद ही पुनः चयनित हो सकेंगे।
प्रशिक्षण का लाभ वे लोग ले सकेंगे, जो:
- निजी/पट्टा या सरकारी तालाबों में मछली पालन कर रहे हों,
- प्रखंड स्तरीय मत्स्यजीवी सहयोग समिति के सक्रिय सदस्य हों,
- या फिर बैंक ऋण/स्वलागत से मत्स्य पालन से जुड़ी योजनाओं के लिए जिला मत्स्य कार्यालय द्वारा चयनित हों।
योजना का उद्देश्य
राज्य सरकार का मानना है कि मत्स्य पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ साबित हो सकता है। इस योजना से प्रशिक्षित मछुआरे आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर उत्पादन बढ़ा पाएंगे और आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ेंगे।बिहार सरकार की इस योजना से मछुआरों को तकनीकी ज्ञान, सरकारी सहायता और आर्थिक मजबूती का अवसर एक साथ मिलेगा। जो भी किसान या मछुआरे मत्स्य पालन में रुचि रखते हैं, वे इस मौके को हाथ से न जाने दें और समय रहते आवेदन अवश्य करें।