छपरा

Tourist Destination: सारण के ऐतिहासिक चिरांद की मिट्टी में दबी 5000 वर्ष पुरानी संस्कृति को मिलेगी नई पहचान

दान की नगरी चिरांद अब बनेगी विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल

छपरा। सारण जिले का ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल चिरांद अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाएगा। बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा चिरांद के समग्र विकास के लिए डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार की जा रही है। यह प्रक्रिया जिलाधिकारी अमन समीर की पहल पर शुरू हुई है, जिन्होंने इस धरोहर को संरक्षित करने और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए विभाग को प्रस्ताव भेजा था।

सचिव ने किया स्थलीय निरीक्षण

हाल ही में विभागीय सचिव प्रणव कुमार ने चिरांद का स्थल निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि चिरांद के ऐतिहासिक, पौराणिक और पुरातात्विक महत्व को देखते हुए यहां आधारभूत संरचना, आगंतुक सुविधाएं, शोध केंद्र, संग्रहालय और पर्यटन से जुड़ी व्यवस्थाएं विकसित की जाएंगी।

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क्यों खास है चिरांद?

स्थानिक महत्व:
शहर मुख्यालय से लगभग 13 किलोमीटर पूर्व, गंगा नदी के तट पर स्थित चिरांद प्रागैतिहासिक, नवपाषाण, ताम्रपाषाण और लौह युग से जुड़ा हुआ स्थल है। यह न केवल पुरातत्व प्रेमियों के लिए, बल्कि शोधकर्ताओं के लिए भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

पुरातात्विक समृद्धि:
यहाँ खुदाई में भारत का दूसरा सबसे समृद्ध नवपाषाण कालीन अवशेष मिला है। पहले स्थान पर कश्मीर का होमजर्ग है। पुरातत्व विभाग के अनुसार चिरांद में 2500 ईसा पूर्व से 40 ईस्वी तक के मानव आवास, कृषि उपकरण, गेहूं की बालियां, जानवरों की हड्डियाँ और घरेलू सामग्री के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यह संकेत देता है कि चिरांद एक विकसित और संगठित मानव सभ्यता का केंद्र रहा है।

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चिरांद – दान और धर्म की पौराणिक नगरी

पौराणिक कथा अनुसार यह स्थल केवल पुरातात्विक नहीं, बल्कि धार्मिक रूप से भी अत्यंत प्रतिष्ठित है। कथा के अनुसार महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन का घमंड तोड़ने के लिए दानवीर राजा मौर्यध्वज की परीक्षा ली थी। साधु वेश में कृष्ण ने राजा से अपने पुत्र को सिंह के भोजन के लिए बलि चढ़ाने की मांग की, जिसे राजा ने सहर्ष स्वीकार किया। इस घटना ने अर्जुन को नम्रता का पाठ पढ़ाया और चिरांद को ‘दान की नगरी’ के रूप में पहचान दिलाई।

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आने वाले समय में क्या होगा?

  • चिरांद तक बेहतर सड़क संपर्क (पहुंच पथ) का निर्माण
  • आगंतुकों के लिए इन्फॉर्मेशन सेंटर, व्याख्या दीर्घा, गाइड सुविधा और रिसर्च यूनिट
  • पुरातत्व संग्रहालय और डिजिटल इंटरप्रिटेशन सेंटर की स्थापना
  • धार्मिक-पौराणिक सर्किट से जोड़कर धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा

चिरांद की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पौराणिक विरासत को संरक्षित कर उसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में सारण प्रशासन और राज्य सरकार का यह प्रयास सराहनीय है। चिरांद अब केवल इतिहास का विषय नहीं रहेगा, बल्कि वह आने वाली पीढ़ियों के लिए शोध, दर्शन और प्रेरणा का स्थल बनेगा।

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

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