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Railway Ticket Booking Rule: रेलवे का बड़ा फैसला, अब सिर्फ 25% तक ही मिलेगा वेटिंग टिकट

1 जुलाई से आधार अनिवार्यता और 15 जुलाई से OTP के बाद सामान्य कोटे में बड़ा बदलाव

रेलवे डेस्क। रेल यात्रियों के लिए भारतीय रेलवे ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब से सामान्य कोटे से बुक होने वाले आरक्षित टिकटों पर भी वेटिंग लिस्ट की सीमा तय कर दी गई है। यह व्यवस्था सभी श्रेणियों — स्लीपर से लेकर एसी तक — पर समान रूप से लागू होगी। नियम के तहत, किसी भी स्टेशन के लिए सामान्य कोटे की सीटों की संख्या से अधिकतम 25% तक ही वेटिंग टिकट बुक किए जा सकेंगे। इससे अधिक संख्या में टिकट बुक करने की अनुमति नहीं होगी और टिकट बुकिंग प्रणाली में “नो रूम” (REGRET) दिखने लगेगा।

इस नई व्यवस्था को रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (यात्री विपणन) शिवेंद्र शुक्ला द्वारा सभी जोनल रेलवे को पत्र जारी कर लागू किया गया है। सोमवार से यह नियम प्रभावी हो गया है।

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यात्रियों को राहत, रेलवे को नियंत्रण में भीड़

रेलवे के इस कदम से ट्रेनों में अनियंत्रित भीड़ से निजात मिलेगी और वास्तविक यात्री सुविधाओं में सुधार होगा। गंतव्य तक कन्फर्म टिकट ना मिलने पर जबरन यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या घटेगी और आरक्षित डिब्बों की भीड़ कम होगी।

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ऐसे काम करेगा नया सिस्टम – उदाहरण से समझें:

मान लीजिए किसी ट्रेन में स्लीपर श्रेणी के सामान्य कोटे में 20 सीटें उपलब्ध हैं, तो वेटिंग टिकट अधिकतम 25% यानी केवल 5 टिकट ही जारी किए जाएंगे।

  • थर्ड एसी में यदि 10 सीटें हैं, तो अधिकतम 3 टिकट वेटिंग में जाएंगे।
  • सेकंड एसी में 8 सीटें हैं, तो वेटिंग में केवल 2 टिकट ही जारी होंगे।
    इससे अधिक बुकिंग करने पर सीधे “नो रूम” का मैसेज मिलेगा।

लंबी दूरी की प्रमुख ट्रेनों में असर दिखना शुरू

धनबाद से चलने वाली गंगा-सतलज, धनबाद-अलेप्पी एक्सप्रेस, कोलकाता-जम्मूतवी एक्सप्रेस, दून एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में यह प्रभाव साफ देखा गया है। राजधानी और दुरंतो एक्सप्रेस में भी जून के पूरे महीने के लिए नो रूम की स्थिति देखी जा रही है।

तत्काल कोटे पर भी यही नियम लागू

यह नया वेटिंग लिमिट नियम तत्काल कोटे की टिकट बुकिंग पर भी प्रभावी होगा। हालांकि, रियायती टिकट या सैन्य वारंट के तहत टिकट बुकिंग पर यह बाध्यता लागू नहीं होगी। रेलवे ने स्पष्ट किया है कि रोड साइड और छोटे स्टेशनों पर भी यह नियम समान रूप से लागू रहेगा।

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गंतव्य स्टेशन नहीं मिला? अगले स्टेशन का विकल्प चुनें

यदि आपकी ट्रेन में गंतव्य स्टेशन तक नो रूम दिखा रहा है, तो आप अगले स्टेशन तक का टिकट बुक करा सकते हैं।

उदाहरण के लिए, धनबाद से बरेली के लिए जगह नहीं मिलने पर सहारनपुर तक का टिकट लेकर यात्रा की जा सकती है। हालांकि, इस विकल्प में जेब पर थोड़ी मार पड़ सकती है:

  • बरेली तक सेकंड एसी का किराया: ₹1840
  • सहारनपुर तक सेकंड एसी का किराया: ₹2155

रेलवे की डिजिटल सख्ती: आधार और OTP अनिवार्य

इससे पहले रेलवे ने 1 जुलाई से तत्काल टिकट बुकिंग के लिए आधार अनिवार्य कर दिया है और 15 जुलाई से OTP अनिवार्यता भी लागू कर दी जाएगी।
इन दोनों कदमों का मकसद फर्जी टिकटिंग को रोकना और पारदर्शिता लाना है।

नए नियमों से यह होंगे फायदे:

  • वेटिंग लिस्ट में यात्रियों की भारी संख्या से छुटकारा।
  • यात्रियों को पहले से पता चल जाएगा कि सीट मिलेगी या नहीं।
  • ट्रेन में बिना रिजर्वेशन चढ़ने वालों पर नियंत्रण।
  • टिकट दलालों की गतिविधियों पर भी लगेगी लगाम।

रेलवे के इस नए फैसले से जहां यात्रियों की यात्रा अनुभव में सुधार होगा, वहीं भीड़ नियंत्रण और व्यवस्था बनाए रखने में भी सहूलियत होगी। डिजिटल निगरानी और सीमित वेटिंग व्यवस्था भारतीय रेलवे को एक और कदम आगे ले जाती है — सुरक्षित, व्यवस्थित और पारदर्शी सफर की ओर।

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

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