अब तीसरे राह की तलाश में नीतीश !
संजय कुमार सिंह, वरिष्ठ पत्रकार,छपरा
BIHAR DESK: बिहार की राजनीति इस समय दिलचस्प मोड़ पर है। जहां कल तक नीतीश कुमार निर्णायक की भूमिका में रहते थे वहीं आज याचक नजर आ रहे हैं। फिलहाल उनकी स्थिति एनडीए को लेकर ऐसी हो गई है कि न तो उन्हें उगलते बन रहा है और न ही निगलते। उगलेगें तो कहां जाएंगे, महागठबंधन के गेट पर तेजस्वी यादव उन्हें न घुसने देने के लिए लाठी लेकर खड़े हैं। भले कांग्रेस दबाव बना रही है लेकिन तेजस्वी टस से मस होने को तैयार नहीं हैं। वहीं बीजेपी नीतीश कुमार को मनचाहा भाव नहीं दे रही है और देगी भी नहीं।उसे मालूम है कि इस बार नीतीश कुमार वहां खड़े हैं, जहां से उन्हें कोई नई राह मिलना आसान नहीं है। रविवार को नीतीश कुमार का दिया गया बयान- “जदयू को कोई दरकिनार नहीं कर सकता, भ्रष्टाचार व साम्प्रदायिकता से समझौता नहीं करेंगे, सीट बंटवारे पर बीजेपी ने अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं दिया” उनकी विवशता को दर्शाता है। इन बयानों में नीतीश की बेचारगी छुपी हुई है। जब भरस्टाचार बोलते हैं तो राजद तथा साम्प्रदायिकता बोलें तो बीजेपी नीतीश के निशाने पर होती है। इन दोनों दलों को उनके बोलने से कोई फर्क नहीं पड़ रहा।क्योंकि उन्हें पता है कि ये सब बेचैनी के बयान हैं। इस बात को नीतीश कुमार भी बखूबी समझ रहे हैं। तभी तो वे तीसरे राह की तलाश में हैं, जो बहुत मुश्किल है। उनकी कोशिश है कांग्रेस को राजद से अलग कर गठबंधन बनाने की। जिसमें रामविलास पासवान को भी शामिल किया जाए। इनदिनों रामविलास व नीतीश के संबंध काफी मधुर चल रहे हैं। इसके पीछे नए गठबंधन की ही सोच काम कर रहा है। रामविलास पासवान भी इसको हवा दे रहे हैं ताकि बन गया तो ठीक नहीं तो एनडीए गठबंधन में उनका पोजीशन मजबूत बना रहे। वैसे नीतीश कुमार के लिए तीसरा राह तैयार करना आसान नहीं होगा। क्योंकि कांग्रेस राजद को नीतीश कुमार के लिए आसानी से नहीं छोड़ेगी। क्योंकि उनकी क्रेडिबिलिटी संदिग्ध हो गई है। जाहिर है तब नीतीश या तो अकेले चुनाव के मैदान में उतरेंगे, जो भाजपा चाह भी रही है या फिर एनडीए में ही भाजपा की शर्तों पर रहेंगें ! आनेवाला कुछ दिन और दिलचस्प होगा, तब तक इंतजार कीजिए !
डिस्कलेमर: यह लेखक के निजी विचार है। यह लेख उनके फेसबुक वाल से सभार लिया गया है। लेखक दैनिक भास्कर छपरा में कार्यरत है।