राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने डीएम को जारी किया ‘कारण बताओ’ नोटिस
अधिवक्ता एसके झा ने आयोग में दाखिल की थी याचिका
आयोग की सख्ती के बाद प्रशासनिक महकमे में हड़कंप
@संजीवनी रिपोर्टर
मुजफ्फरपुर : जिले के कांटी थाना क्षेत्र के बहुवारा गाँव के निवासी नवोध कुमार पासवान के पाँच वर्षीय इकलौते पुत्र अंकुश कुमार के बायें पैर की हड्डी बढ़ गयी थी और टेढ़ी हो गयी थी, जिसकी सर्जरी शहर के चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार द्वारा किया गया था। सर्जरी के बाद पैर में काफी इन्फेक्शन बढ़ गया, लेकिन चिकित्सक ने उचित ईलाज नहीं किया, जिसके कारण अंकुश कुमार का पैर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया और पैर की स्थिति पहले से भी ज्यादा खराब हो गयी।
उसके बाद परिवादी ने अपने पुत्र को लेकर अन्य चिकित्सकों के परामर्श के अनुसार पटना एम्स में ईलाज करवाया जहाँ पर डॉ. संजीव कुमार द्वारा गलत सर्जरी करने की बात सामने आई। उसके बाद मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा के माध्यम से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग में याचिका दाखिल किया। आयोग ने संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी को जाँच का निर्देश दिया और जबाव तलब किया, लेकिन तय समय सीमा में जिलाधिकारी द्वारा आयोग को जबाव प्रेषित नहीं किया गया। आयोग द्वारा कई बार नोटिस जारी करने के बावजूद भी जब जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा जबाव नहीं भेजा गया।
इस पर आयोग ने सख्त रूख अपनाते हुए जिलाधिकारी को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया है और दस दिनों के अंदर जबाव देने को कहा है। नोटिस में स्पष्ट है कि जांच रिपोर्ट प्राप्त न होने की स्थिति में आयोग सी.पी.सी.आर. अधिनियम 2005 की धारा-14 के तहत कार्रवाही करने को बाध्य होगा। यह नोटिस आयोग के रजिस्ट्रार अनु चौधरी के द्वारा भेजा गया है और इसकी सूचना परिवादी को भी दी गयी है। अधिवक्ता एसके झा ने बताया कि परिवादी अत्यंत ही गरीब व्यक्ति है।
उनके एकमात्र इकलौते पुत्र का भविष्य बर्बाद होने के कगार पर है, क्योंकि परिवादी उतना सक्षम नहीं है कि वह अपने पुत्र का ठीक से ईलाज करवा पाये। वर्तमान में परिवादी के पुत्र का ईलाज एम्स पटना में चल रहा है। परिवादी ने बताया कि मुझे अब आयोग एवं न्यायालय पर ही विश्वास है।